Case Studies
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जीवन का सत्य- हम जन्म क्यों लेते हैं ?
१. जीवन का सत्य- हम जन्म क्यों लेते हैं ? – प्रस्तावना प्रायः हमसे यह प्रश्न पूछा जाता है, ‘जीवन का सत्य क्या है ?’ अथवा ‘जीवन का उद्देश्य क्या है ?’ अथवा ‘हम जन्म क्यों लेते हैं ?’ जीवन के उद्देश्य के संदर्भ में अधिकतर हमारी अपनी योजना होती है; किंतु आध्यात्मिक दृष्टि से सामान्यतः … जीवन का सत्य- हम जन्म क्यों लेते हैं ? को पढ़ना जारी रखें
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प्रारब्ध और लेन-देन के नियम
हमारे जन्म से लेकर, हमारा जन्म किस परिवार में होगा, ऐसी अनेक घटनाएं हमारे प्रारब्ध के अनुसार घटती हैं । व्यक्ति उस परिवार में जन्म लेता है जिस परिवार की परिस्थिति उसके लिए उसका प्रारब्ध भोगने हेतु अनुकूल हो और उस परिवार के सभी सदस्यों से उसका बडी मात्रा में लेन-देन हो । कर्म का … प्रारब्ध और लेन-देन के नियम को पढ़ना जारी रखें
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हमारे कर्मों का कारण और लेन-देन की क्रियाविधि
हमारे कर्मों का कारण और लेन-देन की क्रियाविधि १. प्रस्तावना पिछले लेखों में बताए अनुसार हमारे जीवन के ६५% कर्म प्रारब्ध के अनुसार होते हैं । यह हमारे जीवन का वह भाग है जिस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता । हमारे आसपास के लोगों के साथ हम जो लेन-देन निर्माण करते हैं, उसके द्वारा … हमारे कर्मों का कारण और लेन-देन की क्रियाविधि को पढ़ना जारी रखें
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पाप के प्रकार
पाप और पुण्य क्या है ? पाप के प्रकार पाप के परिणाम पाप का प्रायश्चित उपरोक्त विषय को समझने के लिए, पहले हम निम्नलिखित लेख को समझ लेते हैं : पाप और पुण्य क्या है ? १. परिचय- पाप क्या है ? प्रतिदिन के कर्म करते समय हमसे कई प्रकार के पाप कर्म होते हैं । उदा. … पाप के प्रकार को पढ़ना जारी रखें
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पाप के परिणाम
पाप और पुण्य क्या हैं ? पाप के प्रकार पाप के परिणाम पाप-मुक्ति के लिए प्रायश्चित १. परिचय पाप और पुण्य क्या है ? इस लेख में हमने वर्णन किया है कि पाप ऐसे कर्म का परिणाम है, जो किसी अन्य की हानि के लिए उत्तरदायी है । इस लेख में हम पाप करनेवालों को … पाप के परिणाम को पढ़ना जारी रखें
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पाप का प्रायश्चित क्या होता है ?
पाप और पुण्य क्या है पाप के प्रकार पाप के परिणाम पापक्षालन के लिए प्रायश्चिeत इस लेख को अच्छे से समझने के लिए हमारा सुझाव है कि आप निम्नलिखित लेखों से परिचित हो जाएं : पाप और पुण्य क्या है ? पाप के प्रकार पाप के परिणाम १. प्रस्तावना चूक होने पर बुरा लगना और … पाप का प्रायश्चित क्या होता है ? को पढ़ना जारी रखें
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प्रारब्ध तथा क्रियमाण कर्म क्या हैं ?
साधना के लाभ प्रारब्ध पर विजय प्राप्त करना प्रारब्ध तथा क्रियमाण कर्म क्या हैं ? इस विषय को समझने हेतु हमें यह जानना होगा कि प्रारब्ध क्या है : पाश्चात्य दृष्टिकोण से हमारे जीवन पर हमारा नियंत्रण है तथा जीवन में घटनेवाली हर घटना हमारी स्वेच्छा से घटती है । इसके विपरीत प्रसिद्ध पूर्वी दृष्टिकोण … प्रारब्ध तथा क्रियमाण कर्म क्या हैं ? को पढ़ना जारी रखें
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पुण्य एवं पाप क्या हैं ?
पुण्य एवं पाप क्या है ? पाप के प्रकार पाप का फल पापक्षालन के लिए प्रायश्चित्त १. प्रस्तावना दैनिक जीवन में कर्म करते समय, हम उन कर्मों का फल पुण्य एवं पाप के रूप में भोगते हैं । पुण्य एवं पाप हमें अनुभव होनेवाले सुख और दुख की मात्रा निर्धारित करते हैं । अतएव यह … पुण्य एवं पाप क्या हैं ? को पढ़ना जारी रखें
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जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति
साधना करने के लाभ जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति अध्यात्मशास्त्र के अनुसार मुक्ति की परिभाषा है, प्रारब्ध में अर्थपूर्ण न्यूनता (बहुत कम होना) के कारण जन्म लेने की बाध्यता न होना । मनुष्य का जन्म दो कारणों से बार-बार होता है । पहला ६५ प्रतिशत महत्त्व रखनेवाला कारण है प्रारब्ध के अनुसार सुख-दुःख … जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति को पढ़ना जारी रखें
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उपहार देना एवं प्राप्त करना
१. उपहार देने एवं लेने का आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य – प्रस्तावना उपहार देने एवं प्राप्त करने में एक प्रकार से हम सभी चाहे किसी भी संस्कृति से होंलिप्त हैं। । संभवतः हमने जीवन भर उपहार लिए एवं प्राप्त किए हो, तब भी हो सकता है कि हम उपहार देने एवं प्राप्त करने के आध्यात्मिक प्रभाव को … उपहार देना एवं प्राप्त करना को पढ़ना जारी रखें
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हमारा लेन-देन किसके साथ होता है ?
हमारा लेन-देन किसके साथ होता है ? सामान्यतः हमारा अपने परिवार के सदस्यों के साथ और निकटतम लोगों के साथ सबसे अधिक लेन-देन होता है । लेन-देन क्या है, कृपया यह लेख पढ़ें । यदि हम अपने जीवन काल में उन सभी लेन-देन पर विचार करें, जो उन लोगों के साथ रहता है जिन्हें हम जानते … हमारा लेन-देन किसके साथ होता है ? को पढ़ना जारी रखें
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प्रकरण का अध्ययन – तीव्र प्रारब्ध से रक्षा
इस लेख में एक साधक के प्रकरण के माध्यम से बताया गया है कि प्रारब्ध सभी प्राणियों की गतिविधियों को नियंत्रित करता है और हमारे सुख-दुख का मूल कारण है ।