कुण्डलिनी चक्र क्या हैं ?
चक्र, कुण्डलिनी तंत्र की मध्यनाडी अर्थात सुषुम्ना नाडी पर स्थित ऊर्जाकेंद्र हैं । सुषुम्ना नाडी पर मुख्यतः सात कुण्डलिनी चक्र होते हैं । ये चक्र शरीर के विभिन्न अंगों तथा मन एवं बुद्धि के कार्य को सूक्ष्म-ऊर्जा प्रदान करते हैं । प्रधानरूप से ये व्यक्ति की सूक्ष्मदेह से संबंधित होते हैं । ऊपर से नीचे की दिशा में कुण्डलिनी के ये चक्र इस प्रकार हैं :
क्रमांक |
कुण्डलिनी चक्र का संस्कृत नाम |
कुण्डलिनी चक्र का पश्चिमी नाम |
---|---|---|
७ |
सहस्रार-चक्र |
Crown chakra |
६ |
आज्ञा-चक्र |
Brow chakra |
५ |
विशुद्ध-चक्र |
Throat chakra |
४ |
अनाहत-चक्र |
Heart chakra |
३ |
मणिपुर-चक्र |
Navel chakra |
२ |
स्वाधिष्ठान-चक्र |
Sacral chakra |
१ |
मूलाधार-चक्र |
Root chakra |
कुण्डलिनी के विभिन्न चक्रों के स्थान नीचे आकृति के रूप में दर्शाए हैं ।
ब्रह्मरंध्र सहस्रार चक्र के ऊपर स्थित सूक्ष्म-द्वार है, जहां से ईश्वरीय शक्ति ग्रहण की जाती है । ब्रह्मरंध्र से कुण्डलिनी के निकलने का अर्थ है आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत (संत-महात्मा) द्वारा ईश्वर से एकरूप हो जाना । इसी द्वार से आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत (संत-महात्मा) देहत्याग के समय शरीर छोडते हैं ।