१.पूर्वानुभव भ्रांति (डेजा वू) क्या है ?
क्या आपको किसी स्थान पर पहली बार जाने पर भी मैं यहां पहले भी कभी आया हूं इस प्रकार का विचित्र अनुभव आपने किया है । इस अनुभव को प्रचलित रूप से डेजा वू (पूर्वानुभव भ्रांति का फ्रेंच शब्द) कहते हैं । इसमें व्यक्ति को लगता है कि वर्तमान नवीन घटना का वह पहले ही साक्षी रहा है । उसे देखा अथवा अनुभव किया है । तब उन भावनाओं की प्रतीति को डेजा वू (déjà vu) कहते हैं ।
२. डेजा वू का आध्यात्मिक कारण क्या है ?
लोगों को इस प्रकार के अनुभव क्यों होते हैं तथा उसका मूल कारण क्या है, यह समझने के लिए हमने आध्यात्मिक शोध किया ।
अ. ३० प्रतिशत प्रकरण :समान अनुभव अथवा पूर्व जन्म अनुभव
यह इस जन्म में अथवा पिछले जन्मों में हुए समान अनुभव से वर्त्तमान अनुभव को का पहचानने से यह संबंधित है ।
आ. ५० प्रतिशत प्रकरण :ट्यूनिंग फोर्क प्रयोग
प्रत्येक सजीव तथा निर्जीव वस्तु तरंगें प्रक्षेपित करती हैं, जो उसके चारों ओर के प्रभावलय में सहायक होती हैं । मनुष्यों के प्रकरण में, उसकी प्रत्येक देह से अर्थात स्थूलदेह, मनोदेह, कारणदेह तथा सूक्ष्म-अहं अथवा महाकारण देह से तरंगें प्रक्षेपित होती हैं । जब व्यक्ति साधना कर रहा होता है और उसके विचार केंद्रित होते हैं, तब इन तरंगों का प्रक्षेपण तथा ग्रहण करना और भी स्पष्ट हो जाता है ।
जब व्यक्ति के मन की तरंगें अस्थायी रूप से अन्य जीवित व्यक्ति के मन की तरंगों से अथवा मृत्योपरांत सूक्ष्म-देहों की तरंगों से मेल खाती हैं, तब यह अनुभव ट्यूनिंग फोर्क के प्रयोग समान होता है ।
हमारे मन की तरंगें सभी से मेल नहीं खातीं तथा सामान्य नियम यह है कि करोडों लोगों में से यह किसी एक से मिलती-जुलती होगी । दूसरे शब्दों में, हमारे मन की तरंगें पृथ्वी की ६५० करोड जनसंख्या में से केवल ६५ लोगों से मेल खाएगी । मृत्योपरांत के सूक्ष्म-देहों के संदर्भ में यह संख्या अधिक होगी क्योंकि सूक्ष्म-लोकों में उनकी संख्या अत्यधिक है । ये सूक्ष्म-देह ये लोग किसी भी प्रकार से आत्मीय मित्र नहीं हो सकते;यह बस इतना ही है कि किसी विशेष अनुभव के लिए उनके मन की तरंगें मेल खा गईं । तब उन्हें पूर्वानुभव भ्रांति अर्थात डेजा वू होने का भान होता है कि वर्तमान नवीन घटना का वह पहले ही साक्षी रहा है । जबकि वास्तव में यह किसी और का अनुभव होता है ।
इ. २० प्रतिशत प्रकरण : विविध कारण
३. डेजा वू में अनिष्ट शक्तियों का हस्तक्षेप
कुछ प्रकरणों में जहां व्यक्ति अनिष्ट शक्तियों से मध्यम से तीव्र स्वरूप में प्रभावित अथवा आविष्ट होते हैं, तब उपरोक्त आंकडे भिन्नन्न हो जाते हैं । ८० प्रतिशत विश्व की जनसंख्या मृत्योपरांत के पूर्वजों तथा अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित होती है, उनमें से कुछ मध्यम से तीव्र स्वरूप में प्रभावित होते हैं ।
संदर्भ हेतु पढें – विश्व की कितनी प्रतिशत जनसंख्या अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) से प्रभावित है ?
जब लोग मध्यम से तीव्र स्वरूप में पूर्वजों अथवा अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित होते हैं, तब ऊपर बताए गए तीनों कारकों में अनिष्ट शक्तियों का योगदान औसत रूप से ५० प्रतिशत होता है । इसका अर्थ है कि इन लोगों में से प्रत्येक दो डेजा वू के प्रकरण प्रकरणों में से एक प्रकरण का कारण अनिष्ट शक्तियां होती हैं । अनिष्ट शक्तियां ऐसा प्रायः लोगों को राह से भटकाने की दिशाभूल करने के लिए ऐसा करती हैं ।