यह घटना मार्च २०१० को परम पूज्य डॉ.आठवलेजी के मार्गदर्शन में अनेक वर्षों से साधना करनेवाले श्री.सांगोलकर के साथ घटी । इस प्रकरण अध्ययन की विचित्र बात यह थी बिना किसी स्पष्ट कारण के बडी मात्रा में रक्त का स्वतः प्रकट होना । उस रात्रि श्री.सांगोलकर ने जो अनुभव किया वह इस प्रकार था ।
मेरे क्षेत्र के एक साधक को अनिष्ट शक्तियों के कारण अत्यधिक मानसिक कष्ट हो रहा था । १ मार्च २०१० को रात्रि लगभग ८.३० बजे वे मेरे घर साधना तथा उसमें आ रही बाधाओं पर विजय कैसे प्राप्त की जाए, इसके संदर्भ में मार्गदर्शन हेतु आए । इससे ठीक पहले, मैं भी पूरा दिन बाहर व्यतीत करके लौटा ही था और रात को सोने से पहले नहा रहा था घ् चूंकि उस साधक से मेरी निकटता थी इसलिए मैं उनसे मिलने तौलिए में ही आ गया । बैठक कक्ष कक्ष में बैठकर हमने उनकी अडचनों के विषय में चर्चा की । मेरी पत्नी भी साधना करती हैं, वह भी हमारी चर्चा में सम्मिलित हुई । मानसिक कष्टों पर विजय प्राप्त करने तथा उनकी साधना में सुधार कैसे लाया जाए संबंधी विविध आध्यात्मिक दृष्टिकोण देने के उपरांत वे तनिक शांत तथा चिंतामुक्त लगे । इसके उपरांत हमसे विदा लेकर वे अपने घर चले गए । उस समय रात्रि के ९.३० बजे थे ।
मैं नहाने के लिए स्नान गृह जाने के लिए सोफे से उठा । अचानक ही मेरी पत्नी ने ऊंचे स्वर में बताया कि मेरे तौलिए में रक्त के धब्बे हैं । मैं तौलिया हटाकर उसे जांचने लगा, और यह देखकर मुझे अत्यंत अचरज हुआ कि मेरे अंतर्वस्त्र पर भी धब्बे थे । मुझे स्मरण है कि जब मैं उस साधक से चर्चा करने के पूर्व तौलिया लपेट रहा था तब उस समय उस पर रक्त नहीं था और अंतर्वस्त्र बदलते समय भी उस पर रक्त के धब्बे नहीं थे । मैं जिस सोफे पर बैठा था उस पर रक्त के धब्बे नहीं थे ।
लेख के चारोंओर श्रीकृष्णतत्त्व की किनार खींचे बनार्इ गर्इ है जिससे होने के कारण पाठकों को ऊपर दिए गए चित्र अथवा जानकारी पढते समय कष्ट का अनुभव ना करें हो ।
मेरे भीतर से कोई मुझे बता रह था कि यह अनिष्ट शक्तियों का आक्रमण है । मैंने SSRF के सूक्ष्मज्ञान विभाग को दूरभाष से संपर्क किया तथा पूजनीया (श्रीमती)अंजली गाडगीळजी से बात की । उन्होंने मुझे जानकारी दी कि लगभग इसी समय में SSRF ने इस प्रकार की घटनाओं को अपने (वेबसाईट) जालस्थल पर अपलोड करना आरंभ किया है । अपनी प्रगत छठवीं इंद्रिय का उपयोग कर उन्होंने इसे अनिष्ट शक्तियों का द्वारा आक्रमण होने का सत्यापन किया ।
इस विचित्र प्रकरण के संदर्भ में श्री सांगोलकर से साक्षात्कार लेते समय SSRF के आध्यात्मिक शोध दल जिसमें हमारे एक चिकित्सक भी सम्मिलित थे, ने उनसे कुछ और प्रश्न पूछे । साक्षात्कार के समय निम्नलिखित जानकारी ज्ञात हुई :
- श्री.सांगोलकर को ऐसा कोई रोग कभी भी नहीं हुआ था जिसके कारण ऐसा रक्तस्राव हो सके । उन्होंने जीवन में पहली बार इस प्रकार की घटना अनुभव की ।
- उन्हें कोई शारीरिक बेचैनी अथवा वेदना नहीं हुई ।
- उस दिन मलत्याग सामान्य रहा तथा कब्ज का कोई लक्षण नहीं था ।
- उनके शरीर में कहीं से भी त्वचा छिली हुई नहीं थी जिससे रक्त निकल सके । साथ ही वहां की त्वचा में भी सूखा रक्त नहीं दिखा ।
- श्री.सांगोलकर मधुमेह से ग्रस्त हैं, जिसके लिए वे आयुर्वेदिक औषधि ले रहे हैं । इसके अतिरिक्त वे अन्य कोई औषधि नहीं ले रहे हैं ।
- श्री.सांगोलकर चिकित्सक को शीघ्रता से इसे दिखाने के लिए दौड नहीं पडे । चूंकि उन्हें यह भान था कि यह सूक्ष्म स्तरीय आक्रमण उन्हें भयभीत करने के लिए था ।