१. सहज उभरनेवाले खरोंचों की प्रस्तावना
SSRF में हमने विविध वस्तुओं जैसे रसोईघर के बर्त्तन, संगणकीय साहित्यों, अलमारी, भित्ति (दीवार) तथा भूमि पर उभरे खरोंच के चिन्होंवाले अनेक असाधारण प्रकरणों को संजोकर रखा है । हमने ऐसे प्रकरणों का भी अध्ययन किया है जिसमें संतों तथा देवताओं के छायाचित्रों पर भी रहस्यमयी ढंग से खरोंच के चिन्ह उभरे । इन सभी प्रकरणों में उभरे खरोंचों का कोई भी ज्ञात भौतिक कारण नहीं था । अधिकतर प्रसंगों में, खरोंच अनायास ही उभरे तथा उभरने के उपरांत प्रायः कोई दुखद तथा कष्टपूर्ण संवेदना अथवा अनुभूति हुई ।
सूचनाजाल स्थल (इंटरनेट) पर चर्चा समूह तथा अपसामान्य विषय संबंधी मंच (पोर्टल)पर, आपको पूरे विश्व में से साधारण लोगों के अनेक अनुभव मिल सकते हैं जिसमें उन्होंने बिना किसी स्पष्ट कारण के शरीर अथवा वस्तु पर खरोंचें उभरते हुए देखा । तब भी इन अनुभवों में से अधिकतर अनुभव उनके होने के वास्तविक कारण के स्पष्टीकरण के अभाव में ऐसे ही पडे हैं ।
इस लेख में, हम उच्चतर स्तरीय अनिष्ट शक्तियों के प्रभाव से सहज उभरे खरोंचों का अध्यात्मशास्त्र बताएंगे ।
२. खरोंच उभरने के कारण
- अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए जाने वाले विविध विरूपण जैसे छेद हो जाना, काटना, फाडना, खरोंचना इत्यादि के कारण हमारे लेख SSRF में भयभीत करनेवाली असाधारण घटनाओं में सविस्तार बताए गए हैं ।
- साधकों को हतोत्साहित करने के लिए खरोंच तथा अन्य विरूपण सूक्ष्म-स्तरीय मांत्रिकों (उच्चतम स्तर की अनिष्ट शक्तियां) द्वारा उपयोग किया जानेवाला एक साधन है । ऐसे विरूपण के उभरने के कारण जब साधक अशांत स्थिति में होते हैं, तब सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक और अधिक काली शक्ति प्रक्षेपित कर उन पर आक्रमण करती है ।
- विरूपण के अन्य प्रकारों की तुलना में, अनिष्ट शक्ति द्वारा निर्मित असमतल, खरोंचवाले क्षेत्र में विद्यमान असंख्य छोटे बिंदुओं से काली शक्ति अधिक संचारित होती है । इसलिए अनिष्ट शक्तियों द्वारा जहां कुछ प्रकार के विरूपण (जैसे तेल के धब्बे) का प्रयोग वातावरण से काली शक्ति को अवशोषित तथा एकत्रित करने हेतु किया जाता है, वहीं खरोंचों तथा असमतल सतह का प्रयोग उसे संचारित करने के लिए किया जाता है ।
३. उच्चतर स्तरीय अनिष्ट शक्तियां कैसे अपनेआप खरोंचों का निर्माण करती हैं ?
- कैसे: उच्चतर स्तर की अनिष्ट शक्तियां पृथ्वीतत्व का उपयोग कर स्वतः स्फूर्त खरोंचों का निर्माण करती हैं ।
- आवश्यक आध्यात्मिक शक्ति:
आगे दर्शायी गई सारणी में हमने खरोंच के प्रकार के आधार पर आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्ति के लिए आवश्यक न्यूनतम आध्यात्मिक शक्ति दी है ।
विरूपण का प्रकार | एक सामान्य व्यक्ति अथवा उसके वस्तुओं पर आक्रमण करनेवाले सूक्ष्म-जीव की न्यूनतम आध्यात्मिक शक्ति | एक संत अथवा उनके वस्तुओं पर आक्रमण करनेवाले सूक्ष्म-जीव की न्यूनतम आध्यात्मिक शक्ति |
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छिलने के चिन्ह (जैसे किसी बिना धारदार अस्त्र से आक्रमण किया गया हो) |
तीसरा पाताल |
चौथा पाताल |
खरोंचें (जैसे किसी धारदार अस्त्र से आक्रमण किया गया हो) तथा लेमिनेशन का फाडना |
चौथा पाताल |
पांचवा पाताल |
मोटी खरोंचें (जैसे पंजे से खरोंची गर्इ हो) |
चौथा पाताल |
पांचवा पाताल |
४. नकारात्मक स्पंदनों को प्रक्षेपित करने में खरोंचों की अद्वितीय विशेषताएं
प्रभावित व्यक्ति अथवा साधक की प्राणशक्ति क्षीण करने तथा उन पर काली शक्ति प्रक्षेपित करने के अतिरिक्त अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित खरोंचें तथा आकृतियां (उदाहरण के लिए फर्श तथा भित्ति (दीवार)पर) निम्नांकित प्रकार से कष्ट देती है :
- खरोंचों तथा आकृतियों के माध्यम से अनिष्ट शक्तियां भ्रामक स्पंदन दर्शा सकती है जो अच्छी प्रतीत हो सकती है तथा अनुभूति भी प्रदान कर सकती है । प्रायः लोगों को यह ज्ञात नहीं होता कि उन्हें होनेवाली सुखदायक अनुभूति वास्तव में काल्पनिक है ।
- खरोंचों में अनिष्ट शक्तियों द्वारा भेजी गई तरंगों को प्राप्त करने की क्षमता होती है ।
- खरोंचें तथा आकृतियां आवश्यकता के अनुसार सुखदायक तथा कष्टदायक स्पंदन उत्पन्न कर सकती हैं । इसका अर्थ यह है कि उनमें अनुकूलन तथा परिवर्तन की क्षमता गिरगिट के समान होती है ।
- खरोंचें प्रभावित व्यक्ति की त्वचा से रंग वर्णकों को अवशोषित कर लेती है और उनकी त्वचा को निर्जीव तथा शुष्क बना देती है । (स्थूल रूप से यह दिख भी सकता है अथवा नहीं भी ।)
इस भयानक असाधारण मुठभेडों के उप-खंड में, हमने अपनेआप खरोंचें उभरने की घटना कैसे हुई, यह दिखाने के लिए अनेक प्रकरण अध्ययनों के रूप में विभिन्न उदाहरण प्रस्तुत किए हैं तथा जिन साधकों पर आक्रमण हुए, उन्होंने आध्यात्मिक स्तर पर इसका सामना कैसे किया, यह भी बताया हैं ।