यह प्रकरण अध्ययन SSRF के सूक्ष्म विभाग की एक साधिका श्रीमती योया वालेजी का है, जिसमें उन्होंने रक्त जैसे धब्बे दिखाई देने का वर्णन किया है । श्रीमती योयाजी SSRF के मार्गदर्शन में पिछले १० वर्षों से साधना कर रही हैं तथा आक्रमण के समय वे गोवा के SSRF के शोध केंद्र में रह रही थीं । यह घटना ठीक उसी दिन की है, जब उन्होंने केंद्र में और अधिक समय रहकर रक्त के धब्बों के संदर्भ में आध्यात्मिक शोध करने (छठवीं इंद्रिय के माध्यम से) का निर्णय लिया था ।
अपने शब्दों में उस घटना का वर्णन करते हुए वे बताती हैं:
२३ जनवरी २००९ को सवेरे मैं अनेक नकारात्मक विचारों के साथ उठी । मैं SSRF के केंद्र में पिछले एक माह से रह रही थी । मुझे बारंबार यही विचार आ रहे थे कि मुझे यहां से वापस अपने घर पेरिस चले जाना चाहिए । संयोग से उसी रात्रि मैंने कुछ और माह रहने का निश्चय किया था, इसलिए इन नकारात्मक विचारों पर मुझे आश्चर्य हो रहा था तथा मैंने जो पिछली रात्रि जो निश्चय किया था, यह उससे ठीक विपरीत था ।
इसी समय मुझे दाहिने कंधे में वेदना का अनुभव हुआ;किंतु उसे अनदेखा कर मैं स्नान के लिए चली गई ।
जब मैंने अपनी शर्ट उतारी, मैंने शर्ट के पिछले भाग में रक्त जैसे अनेक धब्बे देखे । (वहां ८ धब्बे थे ।) जब मैंने दर्पण में देखा तो मेरी पीठ पर किसी चोट अथवा खरोंच जैसा कुछ नहीं था, तथा ऐसी कोई स्थिति नहीं थी जिससे स्वतः रक्तस्राव हो रहा हो ।
SSRF ने इसके अतिरिक्त निम्न सूत्र जांचे :
- कहीं वहां कोई स्याही अथवा खाद्य पदार्थ जैसे टमाटर की चटनी (सॉस) तो नहीं थी, जिसके धब्बे हो सकते थे ।
- श्रीमती योया आश्वस्त थीं कि जब रात को वे शर्ट पहन रही थीं तब उस पर धब्बे नहीं थे ।
चिकित्सकीय मत
फॉरेंसिक जांच में समय लगता इसलिए SSRFने योया को रक्त जांच के लिए कहा जिससे रक्त संबंधी कोई विकार हो तो पता चले । उन्हें हमारे केंद्र के चिकित्सक ने तथा एक बाहर के चिकित्सक ने जांचा । रक्त जांच का ब्योरा (रिपोर्ट) देखकर तथा शारीरिक जांच के उपरांत भी चिकित्सकों को कुछ भी असामान्य नहीं मिला जिससे रक्त के धब्बे निर्मित हो सकें ।
फॉरेंसिक जांच
फॉरेंसिक जांच विशेषज्ञ द्वारा किए गए जांच ब्योरे में यह बताया गया था कि वे धब्बे रक्त के नहीं अपितु किसी अन्य जैविक पदार्थ के थे । धब्बों के स्रोत के संदर्भ में कुछ भी निश्चित नहीं था ।
सूक्ष्म विश्लेषण
SSRFके सूक्ष्म-विभाग की होने के कारण, योया को शीघ्र ही ज्ञात हो गया कि ये धब्बे अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण स्वरूप उत्पन्न हुए । उन्हें भान हुआ कि रक्त के धब्बों पर आध्यात्मिक शोध करने के उनके निर्णय पर यह अनिष्ट शक्तियों की प्रतिक्रिया थी ।
तदुपरांत योया ने अपनी प्रगत छठवीं इंद्रिय द्वारा पूरे सूक्ष्म आक्रमण का चित्र बनाया । उस आक्रमण संबंधी प्राप्त सूक्ष्म ज्ञान के आधार पर बनाए गए चित्र के कुछ रोचक सूत्र निम्नलिखित थे ।
- यह आक्रमण चौथे पाताल के एक सूक्ष्मस्तरीय मांत्रिक द्वारा किया गया था ।
- उसने काली शक्ति का एक बादल निर्मित किया था जो योया को गहरी निद्रा में ले जाने के लिए उनके पूरे शरीर में फैल गया ।
- बादल से निकलते हुए उसके पास एक तीव्र धारवाली सूक्ष्म-सूई थी जिसकी पूंछ से तूफान समान काली शक्ति कुंडली समान निकल रही थी, जो वातावरण में फैल गई ।
- जब तीक्ष्ण सूक्ष्म सूई योया के कंधे में चुभोई गई तो वह सौम्य हो गई तथा योया की देह में काली शक्ति फैलाने लगी । एक हरे सांप जैसी शक्ति उसके शरीर में निर्मित हुई तथा उसने नकारात्मकता फैलाई जिससे उन्हें वेदना हो तथा उनके मन एवं साधना में बाधा उत्पन्न हो ।
- धब्बे से काली शक्ति की कुंडलियां प्रक्षेपित हुईं जिसने वातावरण में कष्टदायक तरंगों को प्रसारित किया । इससे वातावरण में सूक्ष्म उष्णता निर्मित हुई तथा उसकी ओर देखनेवाले लोगों को सूक्ष्म दबाव अनुभव हुआ ।