विषय सूची
- १. प्रस्तावना
- २. फटने तथा कटने के विविध प्रकार
- ३. अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित फटने तथा कटने के चिन्हों की मुख्य विशेषताएं
- ३.२ आक्रमण की प्रक्रिया
- ५. किसी व्यक्ति में प्रकट हुई अनिष्ट शक्ति द्वारा फाडे जाने तथा सूक्ष्म-माध्यमों द्वारा वस्तु को फाडे जाने की तुलना
- ६. आक्रमण के प्रतिकूल प्रभाव से सुरक्षा कैसे मिले ?
- ७. अधिक जानकारी के लिए हमारे विश्लेषित प्रकरण अध्ययन पढें
१. प्रस्तावना
आध्यात्मिक आयाम में इस पर शोध करते समय, विशेष रूप से पिछले दशक से, SSRF ने कटने तथा फटने के चिन्ह अपनेआप उभरने जैसे एक असामान्य घटना के अनेक प्रकरण को संरक्षित तथा प्रपत्रित किया है । वे वैसी वस्तुओं पर उभरे जो अध्यात्म के प्रसार अथवा SSRF के साधकों से संबंधित हों ।
इन वस्तुओं में कपडे, समाचारपत्र से लेकर चित्र तथा छायाचित्र सम्मिलित हैं । इन प्रकरणों में कई वस्तुएं तो एकदम नई थीं अथवा ऐसी थीं जिनका कदाचित ही प्रयोग किया गया हो । इसलिए बिना किसी स्पष्ट कारण के कटने तथा फटने के चिन्ह उभरना चकित करनेवाली घटना थी ।
विविध पृष्ठभूमिवाले वैसे अनेक प्रकरणों के अध्ययन से आध्यात्मिक शोध द्वारा यह ज्ञात हुआ कि ये कटने-फटने के चिन्ह उच्चतर स्तरीय अनिष्ट शक्तियों द्वारा अपनी काली शक्ति को प्रसारित करने के लिए निर्मित किए गए थे । काली शक्ति आध्यात्मिक शक्ति होती है, जो अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) का प्राथमिक अस्त्र होती हैं ।
२. फटने तथा कटने के विविध प्रकार
आगे दिए गए स्लाईड शो में अनिष्ट शक्तियों द्वारा फाडे तथा काटे जाने के विविध प्रकार के कुछ उदाहरण दर्शाए गए हैं ।
३. अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित फटने तथा कटने के चिन्हों की मुख्य विशेषताएं
३.१ अनिष्ट शक्तियां फटने तथा कटने के चिन्ह क्यों निर्मित करती हैं ?
अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए जाने वाले विविध विरूपण जैसे छेद हो जाना, काटना, फाडना, खरोंचना इत्यादि के कारण हमारे लेख में भयभीत कर देनेवाली असाधारण घटनाओं का परिचय में सविस्तार बताए गए हैं
अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए जानेवाले किसी भी आक्रमण का मुख्य हेतु काली शक्ति फैलाना तथा फलस्वरूप व्यक्ति, वस्तु अथवा वायुमंडल में आध्यात्मिक स्तर पर तमोगुण बढाना होता है ।
किसी भी पूर्ण वस्तु (अर्थात जिसमें कोई भी कटने, फटने के चिन्ह अथवा छेद न हो)में कार्य करने की सर्वाधिक क्षमता होती है । किसी वस्तु पर आक्रमण कर वे उसमें कष्टदायक स्पंदन निर्मित करने का प्रयास करती हैं । वस्तु की पूर्णता अथवा अखंडता को विखंडित कर वे सरलता से ऐसा करने में सक्षम होती हैं । इसके माध्यम से न केवल वस्तु की कार्यकारी अथवा उसके उपयोग करने की क्षमता घटती है अपितु उस वस्तु का उपयोग करनेवाला व्यक्ति भी विरूपण से प्रक्षेपित होनेवाली काली शक्ति से प्रभावित होता है ।
इन आक्रमणों के द्वारा, अनिष्ट शक्तियां इनमें से कोई एक अथवा सभी हेतु को पूर्ण करने का प्रयास करती हैं :
साधकों को डराना, उनकी साधना में अडचनें निर्माण करना तथा उन्हें अध्यात्म प्रसार करने से रोकना
साधकों के मन तथा बुद्धि के चारों ओर काला आवरण बनाना जिससे साधकों की क्षमता को घटाकर तथा/अथवा उन्हें सात्त्विक गतिविधियों से दूर करना ।
सकारात्मक सात्त्विक स्पंदनों को रोकना तथा कष्टदायक स्पंदनों को प्रक्षेपित करना ।
आक्रमण की तीव्रता साधक के भाव के समानुपाती होती है । यदि साधक का भाव अधिक है, तब सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक निर्गुण शक्ति का प्रयोग कर ध्यान अथवा सिद्धियों के माध्यम से आक्रमण करता है ।
३.२ आक्रमण की प्रक्रिया
केवल सूक्ष्म-माध्यमों द्वारा फटने तथा कटने के चिन्ह निर्मित करने हेतु, उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियां वायुतत्व का उपयोग अपने सिद्धियों के माध्यम से करती हैं ।
३.३ आध्यात्मिक शक्ति की आवश्यकता
साधारण वस्तुओं पर आक्रमण निम्नतर स्तरीय सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक द्वारा किया जाता है जबकि सात्त्विक स्पंदन प्रक्षेपित करनेवाली वस्तुओं (जैसे, संत द्वारा प्रयुक्त रूमाल)पर आक्रमण उच्च स्तरीय सूक्ष्म मांत्रिक द्वारा किया जाता है । ऐसा इसलिए क्योंकि सात्त्विक वस्तु में विद्यमान चैतन्य से युद्ध करने के लिए अधिक काली शक्ति की आवश्यकता होती है ।
- जब आक्रमण का लक्ष्य एक सामान्य व्यक्ति की वस्तु हो, तब अपने आप कटने तथा फटने के चिन्ह उत्पन्न करने के लिए आवश्यक न्यूनतम आध्यात्मिक शक्ति तीसरे पाताल के सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक की हो सकती है ।
- जब आक्रमण का लक्ष्य एक संत अथवा उनकी वस्तु हो, तब अपने आप कटने तथा फटने के चिन्ह उत्पन्न करने के लिए आवश्यक न्यूनतम आध्यात्मिक शक्ति चौथे पाताल के सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक की हो सकती है ।
टिप्पणी : पाताल के सात लोक हैं । पाताल का लोक जितने उच्च स्तर का होगा अनिष्ट शक्तियां उतनी ही शक्तिशाली होंगी । उदाहरण के लिए पांचवे पाताल का मांत्रिक तीसरे पाताल के मांत्रिक से अधिक शक्तिशाली होगा । लक्ष्य आध्यात्मिक रूप से जितना शुद्ध होगा उस पर सूक्ष्म-माध्यम से आक्रमण करने के लिए उतनी ही अधिक शक्ति की आवश्यकता होगी ।
३.४ कटने अथवा फटने की स्थिति तथा उसके आकार का महत्व
तुलनात्मक रूप से कटने अथवा फटने की स्थिति अथवा आकार का महत्व ३० प्रतिशत जबकि अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण के उद्देश्य (सूत्र क्रमांक ३.१ में वर्णित)का महत्व ७० प्रतिशत होता है ।
३.५ अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित कटने अथवा फटने के चिन्हों का प्रभाव
जब किसी पर कटने अथवा फटने के माध्यम से आक्रमण होता है, तब व्यक्ति को विविध स्तरों पर कष्ट अनुभव हो सकते हैं :
- शारीरिक : ऊर्जास्तर में गिरावट, शरीर में वेदना होना, थकान, न सो पाना, चेतनाशून्य होना, ठंड लगना, ज्ञानेंद्रियों में वेदना होना, अत्यधिक पसीना निकलना इत्यादि ।
- मानसिक : दुविधा, शंका, स्पष्टता से विचार न कर पाना, निराशा, व्याकुलता, चिडचिडाहट इत्यादि ।
- आध्यात्मिक : साधना हेतु उत्साह का अभाव, साधना को टालने का विचार करना, पूर्व में हुई अनेक अनुभूतियों के उपरांत भी साधना के संदर्भ में शंका निर्मित होना, इत्यादि ।
४. अनिष्ट शक्तियों द्वारा सूक्ष्म-माध्यमों के द्वारा वस्तु को फाडे जाने का उदाहरण
अनिष्ट शक्ति द्वारा सूक्ष्म-माध्यमों के द्वारा एक वस्तु को फाडे जाने का उदाहरण आगे दिया गया है I
विकसित छठवीं इंद्रियवाली साधिका पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी आध्यात्मिक आयाम को देखकर उसका चित्र बना सकती हैं । उनके द्वारा बनाया गया सूक्ष्म-चित्र आक्रमणकर्त्ता (राक्षस)को दर्शाता है ।
आक्रमण किए हुए वस्त्र का छायाचित्र दर्शाता है कि -आक्रमण करनेवाला राक्षस उस पर झपट पडा और उसने सूक्ष्म-माध्यमों से दो समानांतर लंबे कटने के चिन्ह बनाए । राक्षस चौथे पाताल के उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्ति के आदेशानुसार काम कर रहा था ।
इस फटे हुए वस्त्र की विशेष बात यह थी कि उसके भीतर का अस्तर भी फट गया था । इसके अतिरिक्त, एक पीला धब्बा भी कॉलर की दांयी ओर उभरा ।
टिप्पणी : पाठकों को अनिष्ट शक्ति र्दशानेवाले चित्र से प्रक्षेपित होती नकारात्मकता से सुरक्षा हेतु एक विशेष सुरक्षात्मक चौखट (बॉर्डर)बनाई गई है ।
आक्रमण करनेवाले राक्षस ने १६ जुलाई २००४ को उस वस्त्र पर आक्रमण किया था, उस समय उसकी शक्ति का स्तर २५ प्रतिशत था । जनवरी २०१० में उसकी शक्ति का स्तर घटकर १५ प्रतिशत पर आ गया ।
पूजनीया (श्रीमती)योया वालेजी द्वारा किए गए इस आक्रमण का पूर्ण सूक्ष्म-परीक्षण पढने के लिए यहां क्लिक करें ।
एक छोटी बच्ची के कुरते के सामने के भाग में दो स्थानों पर लंबवत कटने के चिन्ह उभरना
१. स्थान तथा फटने का विवरण
- स्थान : कुरते के अगले भाग में
- विशिष्टता : कुरते के भीतर का अस्तर अर्थात उसके भीतर की परत भी फट गई ।
- कुरते के कॉलर की दांयी ओर एक पीला धब्बा उभरा ।
२. अनिष्ट शक्ति का सूक्ष्म-परीक्षण तथा सूक्ष्म-चित्र
- सूक्ष्म-चित्र की सटीकता : ८० प्रतिशत
- सूक्ष्म-चित्र में कष्टदायक स्पंदन : ३ प्रतिशत -परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी
- प्रकार : राक्षस
- काली शक्ति की मात्रा
- विरूपण करते समय (१६-७-२००४) – २५ प्रतिशत
- सूक्ष्म-परीक्षण लेने के दिन (२५-१-२०१०) – १५ प्रतिशत
- आक्रमण करवानेवाले सूक्ष्म-स्तरीय मांत्रिक के पाताल का लोक – ४
शारीरिक मुख्य विशिष्टताएं
- पुरुष
- कद : २’ ५” (७५ सेंटीमीटर)
- शरीर : छोटा तथा फैला हुआ । पूरे शरीर पर कोमल तथा छोटे केश थे ।
- रूप : अनेक छोटे तथा नुकीले केशों के साथ छोटा रूप
- केश : काले, लंबे, मोटे तथा नुकीले
- आंखें : पीली तथा बडी । वह स्थूल में स्पष्टता से देख सकता था ।
- होंठ : छोटे
- दांत : कई छोटे, नुकीले तथा कुछ भी नष्ट करने की क्षमतावाले दांत
- बांह : लंबे
- उंगलियां : छोटी
- हथेली : छोटी
- नाखून : छोटे तथा तीक्ष्ण
- पीठ : रीढ का आकार स्पष्टता से दिख रहा था । रीढ की हड्डी में लचीलापन था इसलिए वह किसी भी दिशा में झुक सकता था ।
- पैर : लंबे तथा पतले
- वह गतिविधि कर सकता था तथा तीव्र गति से चल सकता था । वह कूद सकता था, हवा में उड सकता था अथवा कुछ भी कर सकता था ।
- छोटे तथा विशाल स्थानों पर रेंग सकता था ।
आध्यात्मिक
- उसके शरीर के चारोंओर एक अविरत धुंए जैसी काली शक्ति का आवरण विद्यमान था ।
- जहां भी वह जाता उसकी पीठ से काली शक्ति का प्रवाह फैलता रहता ।
- शीघ्रता से गति करने के कारण उसकी पीठ से काली शक्ति के कण निकल रहे थे ।
सूक्ष्म-आयाम से कुरते को विरुपित करने की प्रक्रिया :
राक्षस हवा में उडा, कपडे पर झपटा तथा अपने तीक्ष्ण नाखूनों से उसे फाड डाला ।
– पूजनीया (श्रीमती) योया वाले, SSRF (२५ जनवरी २०१०)
५. किसी व्यक्ति में प्रकट हुई अनिष्ट शक्ति द्वारा फाडे जाने तथा सूक्ष्म-माध्यमों द्वारा वस्तु को फाडे जाने की तुलना
कभी-कभी, किसी व्यक्ति को आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति व्यक्ति के माध्यम से प्रकट होती है । यह प्रायः आध्यात्मिक उपचार सत्र के समय सात्त्विक उद्दीपकों की उपस्थिति के कारण होता है । ऐसे भी उदाहरण है जब अनिष्ट शक्तियों ने प्रकटीकरण के समय जानबूझकर किसी वस्तु जैसे कपडे के टुकडे को फाड डाला । अनिष्ट शक्ति द्वारा व्यक्ति में प्रकटीकरण के माध्यम से किसी वस्तु पर आक्रमण करने हेतु आवश्यक शक्ति की तुलना में सूक्ष्म-माध्यमों द्वारा फाडे जाने हेतु अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है ।
किसी साधक में प्रकटीकरण के समय सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक द्वारा फाडे जाने में, व्यक्ति जिसमें प्रकटीकरण हुआ है उसके स्थूल स्पंदन भी अनिष्ट शक्ति के सूक्ष्म-स्पंदनों के साथ उपस्थित होते हैं । जबकि अनिष्ट शक्तियों द्वारा सूक्ष्म-माध्यमों से वस्तु को फाडे जाते समय केवल अनिष्ट शक्ति के सूक्ष्म-स्पंदन ही उपस्थित होते हैं ।
६. आक्रमण के प्रतिकूल प्रभाव से सुरक्षा कैसे मिले ?
अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण से सुरक्षित रहने का सर्वोत्तम मार्ग है अध्यात्म के मूलभूत छः सिद्धांतों के अनुसार साधना बढाना ।साथ ही, आध्यात्मिक उपचार जैसे अगरबत्ती जलाना, पवित्र विभूति लगाना, तीर्थ ग्रहण करना, नमकमिश्रित-जल का उपचार इत्यादि नियमित रूप से करना । इन उपचारों से प्राप्त होनेवाले लाभ भी विविध कारकों पर निर्भर करता है । वे कारक हैं, भाव, व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर, आक्रमण की शक्ति तथा अन्य पहलू ।