अध्यात्मशास्त्र के अनुसार, नृत्य कला का एक रूप है, जिसका उपयोग र्इश्वरप्राप्ति के लिए किया जा सकता है । इस अनुसार नृत्य दैवी तत्त्व को प्राप्त करने का एक माध्यम है । आगे दी गर्इ सारणीस्वरूप जानकारी शिल्पाजी को सीधे र्इश्वर से प्राप्त हुर्इ है । इसमें शरीर के निम्नलिखित अवयवों से ग्रहण होनेवाले र्इश्वरीय तत्व की प्रतिशत मात्रा की जानकारी दी गर्इ है, जब उनका उचित प्रकार से नृत्य में प्रयोग किया जाए ।
शरीर के अवयव | प्रतिशत महत्त्व |
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सिर | ५ |
दृष्टि | १० |
भौंहे | ३ |
आंख की पुतलियां | ५ |
गर्दन | ७ |
नाक | २ |
गाल | ५ |
होंठ | १० |
पेट | ५ |
कमर | ८ |
हाथ | २० |
पैर | १८ |
अन्य | २ |
सारणी को समझने का एक उदाहरण : सिर अधिकतम ५ प्रतिशत र्इश्वरीय तत्त्व ग्रहण कर सकता है ।