Case Studies
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आध्यात्मिक शोध का उद्देश्य
१. अध्यात्म शास्त्र तथा आध्यात्मिक शोध की व्याख्या आध्यात्मिक शोध का उद्देश्य जानने से पूर्व आइए, सर्व प्रथम हम आगे दी गईं व्याख्याआें को आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य से जान लें । १.१ अध्यात्म का अर्थ : ऑक्सफोर्ड शब्दकोश में (डिक्शनरीमें) अध्यात्म एक विशेषण (adjective) है । मनुष्य की आत्मा से संबंधित अथवा उसे प्रभावित करनेवाला, भौतिक … आध्यात्मिक शोध का उद्देश्य को पढ़ना जारी रखें
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आधुनिक शोध में प्रयुक्त उपकरणों की मर्यादाओं पर टिप्पणी
१. परिचय अपने आध्यात्मिक शोध में आधुनिक उपकरणों के उपयोग के समय, हमें यह ज्ञात हुआ कि शोध के साधन के रूप में उपकरणों की भूमिका सीमित ही होती है । उदाहरण के लिए, अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से पीडित तथा पीडारहित साधकों के कुंडलिनी चक्रों (आध्यात्मिक शक्ति केंद्र) पर मांसाहारी तथा शाकाहारी भोजन के प्रभावों … आधुनिक शोध में प्रयुक्त उपकरणों की मर्यादाओं पर टिप्पणी को पढ़ना जारी रखें
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वैश्विक शक्तियों से ज्ञान प्राप्त करना
जब व्यक्ति छठवीं इंद्रिय से संपन्न हो, तब वह वैश्विक शक्तियों को ग्रहण कर सकता है । यह छठवीं इंद्रिय इस जन्म में अथवा पिछले जन्म में साधना करने के कारण विकसित होती है ।
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दोलक (पेंडुलम) के प्रयोग से आध्यात्मिक शोध का परिचय
प्राचीन काल में, दोलक का प्रयोग कर मुख्यतः भूमिगत जल की खोज की जाती थी । जल तथा खनिजों के स्रोत का पता लगाने के अतिरिक्त दोलक का प्रयोग अन्य उद्देश्यों के लिए भी किया जाता था । दोलक की सहायता से किसी वस्तु की आध्यात्मिक सकारात्मकता अथवा नकारात्मकता का मापन किया जा सकता है ।
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अनिष्ट शक्ति से पीडित तथा इस पीडा से मुक्त साधक द्वारा दोलक (पेंडुलम) की सहायता से किसी वस्तु-विशेष का परीक्षण (डाउसिंग) – एक तुलनात्मक अध्ययन
दोलक घुमाने का प्रयोग कभी-कभी भूमिगत जल तथा खनिजों का स्थान, संबंधों, निवेश, वस्तु की विश्वसनीयता तथा भविष्य पूछने जैसे विषयों से संबंधित प्रश्नों के ‘अनुमानित’ उत्तर प्राप्त करने हेतु किया जाता है । यद्यपि, ‘अनुमान’ की अचूकता कई परिवर्तनशील घटकों पर निर्भर करती है ।
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आध्यात्मिक शोध के अध्ययन का परिचय – डॉ. नंदिनी सामंत के साथ साक्षात्कार
वर्ष २००८ में, SSRF ने एक लंबी अवधि के सहयोगी आध्यात्मिक शोध परियोजना को प्रारंभ किया | यह परियोजना SSRF द्वारा आयोजित सामान्य पद्धति के आध्यात्मिक शोध से भिन्न है | इस समय, नियंत्रित प्रयोगों के समूह में विभिन्न चरों (variables) को मापने के लिए बायोफीडबैक और अन्य उपकरणों का प्रयोग किया गया | उसके … आध्यात्मिक शोध के अध्ययन का परिचय – डॉ. नंदिनी सामंत के साथ साक्षात्कार को पढ़ना जारी रखें
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पिप – पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी तकनीक का आध्यात्मिक शोध में उपयोग की प्रस्तावना
१. प्रस्तावना गत अनेक वर्षों से व्यक्तियों अथवा वस्तुओं के चारों ओर विद्यमान ऊर्जाक्षेत्र (प्रभामंडल) को यंत्रों तथा विशिष्ट तकनीकों की सहायता से समझने के प्रयत्न हो रहे हैं । एक रूसी आविष्कारक सेम्योन किरलियन द्वारा वर्ष १९३९ में एक सुप्रसिद्ध शोधकार्य किया गया, उनके द्वारा किए गए आविष्कार को अब ‘किरलियन फोटोग्राफी’ के नाम … पिप – पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी तकनीक का आध्यात्मिक शोध में उपयोग की प्रस्तावना को पढ़ना जारी रखें
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पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी (पी.आई.पी) तकनीक
प्रस्तुत लेख पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी (पी.आई.पी) तकनीक की प्रक्रिया को समझाता है । इसका उपयोग आध्यात्मिक शोध में किस प्रकार किया जाता है तथा इसका अवलोकन पिप पुस्तिका में दी गई जानकारी से भी आगे बढकर छठवीं इंद्रिय की सहायता से कैसे होता है, यह जानने के लिए पूरा लेख अवश्य पढें ।