SSRF शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं के लिए इन आध्यात्मिक उपचारों के साथ ही अन्य परंपरागत उपचारों को जारी रखने का परामर्श देता है ।
पाठकों के लिए सुझाव है कि वे स्वविवेक से किसी भी आध्यात्मिक उपचारी पद्धति का पालन करें ।
प्रश्न १ : मुझे SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती कितनी बार जलानी चाहिए ?
उत्तर : हमारा सुझाव है कि अगरबत्ती एक दिन में दो से पांच बार जलानी चाहिए । यह व्यक्ति को अथवा परिसर में अनुभव होनेवाले कष्ट पर निर्भर करता है । सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय अगरबत्ती जलाना विशेष रूप से लाभकारी होता है । सूर्योदय के समय इसे जलाने से रात्रि के समय यदि कोई काली शक्ति आई हो तो उसे दूर भगाने में सहायता होती है तथा सूर्यास्त के उपरांत अनिष्ट शक्तियों की काली शक्ति से सुरक्षात्मक उपाय के रूप में इसे सूर्यास्त के समय जलाते हैं ।
सोने से पहले अगरबत्ती जलाने से सोते समय अनिष्ट शक्तियों अथवा मृत पूर्वजों द्वारा किए जानेवाले आक्रमण की संभावना घट जाती है ।
प्रश्न २ : SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती एक बार में कितनी जलाए ?
उत्तर : यह व्यक्ति के आध्यात्मिक स्तर तथा उसे अथवा उस परिसर में अनुभव हो रहे कष्ट के स्तर पर निर्भर करता है । आध्यात्मिक स्तर से हमारा तात्पर्य है, व्यक्ति की आध्यात्मिक परिपक्वता अथवा आध्यात्मिक क्षमता । यह पंचज्ञानेंद्रियों, मन तथा बुद्धि से स्वयं के तादात्म्य में अल्पता तथा इनके स्थान पर स्वयं में विद्यमान ईश्वर (आत्मा) से तादात्म्य पर निर्भर करता है ।
आध्यात्मिक स्तर के अनुसार :
- ६० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के उपरांत अगरबत्ती की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि व्यक्ति की स्वनिहित्त आध्यात्मिक क्षमता ही अधिक होती है ।
- ५० से ६० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के मध्य एक समय में एक अगरबत्ती भी पर्याप्त होती है ।
- ५० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर से अल्प स्तरवालों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त करने के लिए न्यूनतम २ अगरबत्तियां जलाना श्रेयस्कर होता है ।
कष्ट की तीव्रता के अनुसार : किसी भी समय में दो अगरबत्तियां जलाना पर्याप्त होता हैं; किंतु कष्ट अत्यधिक हो तब परिसर की आध्यात्मिक शुद्धि करने अथवा व्यक्ति पर आए काली शक्ति का आवरण नष्ट करने के लिए एक दिन में पांच बार पांच अगरबत्तियां तक जला सकते हैं ।
प्रश्न ३ : SSRF द्वारा निर्मित जली अगरबत्ती का प्रयोग मैं कैसे करूं ?
उत्तर : परिसर की आध्यात्मिक शुद्धि करने हेतु आप जली अगरबत्ती को एक छोटी थाली में रखकर घर के चारों ओर फिरा सकते हैं । उससे गिरनेवाली विभूति छोटी थाली में ही गिरेगी जिससे वह पैरों तले आने से बच जाएगी । जली अगरबत्ती को घर के चारों ओर फिराते समय अच्छा होगा कि थाली को घडी की सूई की दिशा में घर की भित्तियों (दीवारों) तथा कोनों के निकट से फिराएं । घर के चारों ओर अगरबत्ती फिराते समय नामजप करना श्रेष्ठ होता है क्योंकि इसके अनन्य लाभ हैं । नामस्मरण ऊंचे स्वर में अथवा मन में भी किया जा सकता है ।
संदर्भ हेतु पढें – ईश्वर के किस नाम का जप करना चाहिए ?
प्रत्येक तल (मंजिल) के लिए अलग-अलग अगरबत्ती रखना अच्छा होगा ।
प्रश्न ४ : SSRF द्वारा निर्मित जली अगरबत्ती के प्रभाव का विस्तार कितना होता है ?
उत्तर : एक अगरबत्ती के अधिकतम प्रभाव की सीमा सभी दिशाओं में ५ मीटर की त्रिज्या तक होती है । इसमें ऊपर तथा नीचे की दिशा भी सम्मिलित है । प्रभाव के मंजिलों के मध्य जाने का कारण यह है कि अधिकांश आध्यात्मिक प्रभाव सूक्ष्म में होता है, जिसे हम नहीं देख सकते ।
जली अगरबत्ती को घर में चारों ओर घुमाने के उपरांत तथा उसे केंद्रीय स्थान पर रख देने पर यह प्रायः एक औसत घर (२-४ शयनकक्ष) का पूरा क्षेत्र व्याप लेती हैं । जिन कक्षों में सूक्ष्म नकारात्मक दबाव अनुभव होता है वहां अगरबत्तियों को रखा जा सकता है ।
प्रश्न ५ : SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्तियों से कुछ लोग प्रत्युर्ज (एलर्जिक) क्यों होते हैं ?
उत्तर : आध्यात्मिक शोध निम्नलिखित कारण दर्शाते हैं कि औसतन लोग इससे निकलनेवाली सुगंध से प्रत्युर्ज (एलर्जिक) क्यों होते हैं ।
आयाम | योगदान | कारण का उदाहरण |
---|---|---|
शारीरिक | ३० प्रतिशत | शारीरिक प्रत्युर्ज (एलर्जिक) प्रतिक्रिया |
मानसिक | २० प्रतिशत | चिंगारी अथवा थोडी आग से संबंधित बचपन अथवा पिछले जन्म में घटी कष्टदायक घटना |
आध्यात्मिक | ५० प्रतिशत | अनिष्ट शक्ति को कष्ट होना इसलिए प्रत्युर्ज (एलर्जिक) उत्पन्न करना जिससे व्यक्ति अगरबत्ती न जलाए । |
प्रश्न ६ : SSRF द्वारा निर्मित कौनसी सुगंधवाली अगरबत्ती मेरे लिए उत्तम है ?
उत्तर : SSRF ने वैसी सुगंधवाली अगरबत्तियां बनाई हैं जिसकी आवश्यकता वर्त्तमान काल में अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित लोगों को सर्वाधिक हो । साथ ही आध्यात्मिक शुद्धता बढाने में सहायता हो ।
कौनसी अगरबत्ती अपने लिए आवश्यक है यह जानने के लिए प्रत्यक्ष में प्रयोग करके ही देखना होगा । जिस सुगंधवाली अगरबत्ती से कष्ट होता हो जैसे सिर में वेदना इत्यादि, वही आपके लिए सर्वाधिक आवश्यक है । क्योंकि ये लक्षण जैसे सिर में वेदना होना, सांस लेने में कठिनाई होना अथवा उलटी जैसा लगना, ये सब अगरबत्ती से निकलनेवाली सकारात्मक शक्ति तथा आपको कष्ट देनेवाली अनिष्ट शक्ति के मध्य हो रहे सूक्ष्म स्तरीय युद्ध के कारण होता है ।
नीचे दी गई सारणी में, हमने सामान्य रूप से संभावित आवश्यक सुगंधों को सूचीबद्ध किया है । आप चमेली से अपना प्रयोग आरंभ कर सकते हैं, क्योंकि इसके आपके लिए आवश्यक होने की संभावना सर्वाधिक है ।
अगरबत्ती की सुगंध | आध्यात्मिक उपचार हेतु उपयुक्त होने की संभावना |
---|---|
चमेली | ३० प्रतिशत |
केवडा | २० प्रतिशत |
चंदन | २० प्रतिशत |
मोगरा | १० प्रतिशत |
खस | १० प्रतिशत |
प्रश्न ७ : SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती को एक के उपरांत एक कितने समय में जलाया जा सकता है ?
उत्तर : SSRF द्वारा निर्मित एक अगरबत्ती को पूर्णतः जलने में ४०-४५ मिनट का समय लगता है । पूर्णतः जलने के उपरांत इसका सकारात्मक प्रभाव लगभग ३० मिनट तक रहता है । यदि SSRF द्वारा निर्मित एक अगरबत्ती को जलाने के उपरांत कष्ट न्यून न हों तो दूसरी अगरबत्ती जला सकते हैं । यहां SSRF द्वारा निर्मित दूसरी अगरबत्ती का सकारात्मक प्रभाव २५ मिनट तक रहता है । तीसरी बार अगरबत्ती जलाने से उसका कोई भी विशेष लाभ नहीं होता ।
प्रश्न ८ : SSRF द्वारा निर्मित अगरबत्ती को जलाने से मुझे कौनसे लाभ हो सकते हैं ?
उत्तर : जैसा कि हमने अपने पूर्व के लेख में बताया है, जब SSRF अगरबत्ती जलाई जाती है, उनमें प्रयुक्त विशिष्ट सुगंध की ओर देवता का विशिष्ट तत्त्व आकृष्ट होता है । जो भी इसके समीप होता है वह उस विशिष्ट दैवी तत्त्व के चैतन्य से लाभान्वित होता है । यदि कोई मृत पूर्वज अथवा अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) के कष्ट से पीडित हो तो अगरबत्ती में विद्यमान चैतन्य कष्ट देनेवाली शक्ति से युद्ध करेगा और उस व्यक्ति को हो रहे कष्ट में राहत अनुभव होगी । किंतु यदि किसी को कोई कष्ट नहीं है, तब उसे सकारात्मकता का अनुभव शांत मन, भावपूर्ण नामजप, निर्विचार स्थिति अथवा ध्यानावस्था इत्यादि के माध्यम से होगा ।
यही परिसर के संदर्भ में भी होगा । परिसर से कष्टदायक शक्ति दूर हो जाएगी तथा वहां सकारात्मक शक्ति की निर्मिति होगी ।