Case Studies
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गुरु का महत्व क्या है ? एक आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य
सारांश किसी भी क्षेत्र में मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु शिक्षक का होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । यही सूत्र अध्यात्म के क्षेत्र में भी लागू होता है । ‘अध्यात्म’ सूक्ष्म-स्तरीय विषय है, अर्थात बुद्धि की समझ से परे है । इसलिए आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत मार्गदर्शक अथवा गुरु कौन हैं, यह निश्चित रूप से पहचानना असंभव … गुरु का महत्व क्या है ? एक आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य को पढ़ना जारी रखें
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प.पू. डॉ. आठवलेजी द्वारा सींचा पवित्र तुलसी का पौधा और अन्य तुलसी के पौधे के बीच बायोफीडबैक उपकरण द्वारा किया गया तुलनात्मक अध्ययन
यह लेख बायोफीडबैक उपकरण द्वारा प्रयोग कर प्राप्त निष्कर्ष तुलसी के पौधे की आध्यात्मिक शुद्धता और उच्चतर स्तरीय संत के अस्तित्व के लाभ के अत्यधिक महत्त्व की पुष्टि करता है ।
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संसार में कितने संत हैं ?
इस लेख में वर्त्तमान में संसार में कितने संत हैं, इसकी जानकारी दी गर्इ है ।
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अध्यात्मशास्त्र के अनुसार किसी को संत कैसे घोषित किया जाता है ?
इस लेख में संत को पहचानने के मापदंड बताए गए हैं ।
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संतत्व के संदर्भ में भ्रांतियां
इस लेख में संत के संदर्भ में फैली भ्रांतियोंके खंडन दिए गए हैं ।
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परम पूज्य भक्तराज महाराजजी का सूक्ष्म-चित्र
इस लेख में परम पूज्य भक्तराज महाराजजी का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र दर्शाया गया है ।
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परम पूज्य जयंत आठवलेजी का सूक्ष्म-चित्र
इस लेख में परम पूज्य जयंत आठवलेजी का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र दर्शाया गया है ।
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स्वामी विवेकानंद का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र
स्वामी विवेकानंद का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र दर्शाया गया है ।
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सौरभ जोशी – एक वरदान
इस लेख में पूज्य सौरभजी के जीवन का वृतांत दिया गया है । वे शारीरिक रूप से विकलांग हैं और अपनी आवश्यकताओं के लिए वे संपूर्णतः दूसरों पर निर्भर हैं । तथापि वे सदैव आनंद की अवस्था में रहते हैं ।
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संत कौन हैं ?
१. परिचयात्मक स्लाईड इस अनुवर्ग (ट्यूटोरियल) में हम अध्यात्मशास्त्र के अनुसार किन्हें संतमाना जा सकता है, इस संदर्भ केइसकी आध्यात्मिक अवधारणा की व्याख्या करेंगे । यदि आप इस प्रस्तुति(प्रेजेंटेशन) को पूर्ण चित्रपट प्रकार(फुल स्क्रीन मोड) में देखना चाहते हैं तो कृपया नीचे दाहिने हाथ की ओर के पूर्ण चित्रपट घुंडी(फुल स्क्रीन बटन) को दबाएं । … संत कौन हैं ? को पढ़ना जारी रखें
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कोर्इ व्यक्ति संत को कैसे पहचान सकता है ?
संत, जो आध्यात्मिक विकास के सर्वोच्च शिखर पर हैं, एक सामान्य व्यक्ति के लिए उन्हें पहचानना असंभव है । इसे अच्छे से समझने के लिए चलिए कुछ तत्सम उदाहरण देखते हैं । साथ ही यदि कोर्इ व्यक्ति आध्यात्मिक विकास के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान संत की आध्यात्मिक प्रगल्भता अथवा उनका स्तर मापना चाहता है तो … कोर्इ व्यक्ति संत को कैसे पहचान सकता है ? को पढ़ना जारी रखें
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संतों का सत्संग
सत्संग क्या है सत्संग के लाभ सत्संग के प्रकार संतों के साथ सत्संग १. प्रस्तावना सत्संग यह शब्द ‘सत्’ और ‘संग’ इन दो अक्षरों के संयोजन से बना है । ‘सत्’ का अर्थ है परम सत्य अथवा ईश्वरीय तत्व । ‘संग’ का अर्थ है संगत । सत्संग का शब्दार्थ है, सदा ईश्वर की संगत में … संतों का सत्संग को पढ़ना जारी रखें
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पूजनीय सिरियाक वालेजी की संतपद तक की साधनायात्रा
साधना के प्रति आस्था एवं दृढता के कारण जीवन की सभी घटनाओं की ओर वे साक्षीभाव से देखते हुए अपने निरंतर प्रयास से पूजनीय सिरियाक वालेजी ने मॉडल से संतपद पर विराजमान हुए ।
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पी.आइ.पी. एवं विकसित छठवीं इंद्रिय द्वारा संतों के हस्तलेखन की सकारात्मकता का अध्ययन
साधक तथा संत के हस्तलेखन के चित्रों की तुलना पी.आई.पी तकनीक द्वारा की जाने पर संत के हस्तलेखन का चित्र अधिक सकारात्मक पाया गया I। इन प्रयोगों से सिद्ध होता है कि एक संत तथा साधना करनेवाले एक सामान्य साधक एवं कोर्इ भी साधना न करनेवाले व्यक्ति में अत्यधिक अंतर होता है । साधना आवश्यक है क्योंकि इसके द्वारा व्यक्ति संत के आध्यात्मिक स्तर तक पहुंच सकता है और वातावरण को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है ।
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पू. भावना शिंदेजी द्वारा संतपद प्राप्त करने की आध्यात्मिक यात्रा
पू. भावना शिंदेजी द्वारा संतपद प्राप्त करने की आध्यात्मिक यात्रा जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करते हुए, पू. भावना शिंदेजी संतपद तक पहुंचने हेतु अपनी आध्यात्मिक यात्रा (साधना) में निरंतर प्रयत्नरत रही । यह उनकी अद्वितीय आध्यात्मिक यात्रा है; जो कुछ इस प्रकार की है कि जिससे सभी साधक सीख सकते हैं. हमरा सुझाव … पू. भावना शिंदेजी द्वारा संतपद प्राप्त करने की आध्यात्मिक यात्रा को पढ़ना जारी रखें