प्रकरण अध्ययन – आध्यात्मिक उपचार के समय एक व्यक्ति में आविष्ट अनिष्ट शक्ति द्वारा प्रकटीकरण के समय कुर्ते का फाडा जाना

इस प्रकरण अध्ययन में, आध्यात्मिक उपचार के समय एक साधक को आविष्ट किए हुए एक उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्ति का प्रकटीकरण कैसे हुआ तथा उस घटना का चित्रीकरण करनेवाले साधक का कुर्त्ता फट गया, इसका हमने वर्णन किया है । इस घटना का वर्णन श्री. गुरुदास खंडेपारकर ने किया है ।

टिप्पणी: इस प्रकरण अध्ययन की पृष्ठभूमि और ऐसी घटनाएं विशेष रूप से SSRF के संबंध में क्यों हो रही हैं, यह समझने के लिए कृपया पढें – भयभीत करनेवाली असाधारण घटनाओं का परिचय

१. परिचय

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भारत के गोवा के श्री. गुरुदास खंडेपारकर, SSRF के मार्गदर्शन में वर्ष २००० से साधना कर रहे हैं । साधना के आरंभिक वर्षों में उन्होंने SSRF के कला विभाग में सत्सेवा के रूप में श्री गणेशजी की प्रतिमा बनार्इ । गत ९ वर्षों से गुरुदासजी ने स्वयं को अध्यात्मप्रसार हेतु समर्पित कर दिया है ।

श्री. गुरुदास खंडेपारकर द्वारा बनार्इ गर्इ श्री गणेशजी की प्रतिमा के संदर्भ में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें ।

 

 

 

२. प्रत्यक्ष घटना

वर्ष २००४ में मुझे SSRF के दृश्य- श्रव्य (ऑडियो-वीडियो) विभाग में सत्सेवा दी गर्इ । मेरी सत्सेवा थी SSRF के गोवा के आध्यात्मिक शोध केंद्र में प्रतिदिन सवेरे ७.३० बजे से होनेवाले आध्यात्मिक उपचार के सत्रों का चित्रीकरण करना । ये सत्र संतों के द्वारा किए जाते थे तथा इसमें अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) से प्रभावित अथवा आविष्ट साधक सम्मिलित होते थे ।

एक दिन, मैं और मेरा सहसाधक श्री. आशीष सावंत सदैव की भांति सत्र का चित्रीकरण कर रहे थे । एक साधक में उसे आविष्ट की हुर्इ अनिष्ट शक्ति अनायास ही प्रकट हो गर्इ । वह बहुत व्याकुल तथा क्रोधित लग रहा था ।

आध्यात्मिक शोध दल की टिप्पणी:

प्रकटीकरण का अर्थ है, अनिष्ट शक्ति का अनावृत होना अथवा उजागर होना । यहां हमारा तात्पर्य है अनिष्ट शक्ति की अस्तित्व का प्रकट होना । प्रकटीकरण के समय जो व्यवहार दिखता है वह प्रायः आविष्ट व्यक्ति का नहीं, अपितु आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति का होता है । जो भी कुछ हो रहा है, उसका व्यक्ति को भान हो भी सकता है अथवा नहीं भी हो सकता; किंतु उसका अपने कर्मेंद्रियों पर नियंत्रण नहीं होता । उदाहरण के लिए, कभी-कभी व्यक्ति असाधारण मानवीय शक्ति का प्रदर्शन कर सकता है ।

क्रोध के आवेश में उसने मेरा कुर्त्ता पकड लिया, उसे खींचने लगा और उसे फाड दिया । कुर्ते के दाहिना भाग की सिलार्इ पूर्णतः खुल गर्इ । उसी प्रकार कुर्ते की बार्इं ओर का बांह से जेब तक का भाग भी पूरा फट गया । लगभग २० सेंमी. तक मेरा कुर्त्ता फट गया । उसने आशीष पर भी आक्रमण किया और उसके कुर्ते को भी फाड दिया । यह सब अनेक साक्षियों के समक्ष हुआ ।

आध्यात्मिक सत्र दोपहर २ बजे तक चला । दोपहर ४ बजे तक मुझे अपने हाथ के मध्य भाग में वेदना होती रही ।

३. फटे कुर्ते के चित्र

४. अनिष्ट शक्तियां साधकों को क्यों आविष्ट अथवा प्रभावित करती हैं ?

अनिष्ट शक्तियां द्वारा किसी को आविष्ट किए जाने के अनेक कारण हैं ।

जब कोर्इ अध्यात्मप्रसार के कार्य में सक्रियता से संलग्न हो (अर्थात, वह समाज के सामूहिक उन्नति के लिए सेवा कर रहा हो), अनिष्ट शक्ति द्वारा किसी को प्रभावित अथवा आविष्ट किए जाने का उद्देश्य उसे अध्यात्मप्रसार के लिए किए जानेवाले प्रयास करने से रोकना होता है । क्योंकि जब व्यक्ति केवल अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए साधना करता है, तब वह मुख्यतः स्वयं को भीतर से शुद्ध करता है । किंतु वही व्यक्ति जब समाज के आध्यात्मिक सामूहिक उत्कर्ष के लिए साधना करता है, तब इससे मात्र उसके अंतर की ही शुद्धि नहीं होती, अपितु वातावरण के सत्त्वगुण में भी वृद्धि होती है । सत्त्वगुण में हुर्इ वृद्धि से अनिष्ट शक्तियों को कष्ट होता है; चूंकि यह उसके रजो-तमोगुण के विपरीत होता है । इसलिए अनिष्ट शक्तियां समाज के लिए साधना (समष्टि साधना) करनेवाले साधकों पर आक्रमण करती हैं तथा उन्हें कष्ट देती हैं ।

५. अनिष्ट शक्ति के आक्रमण तथा प्रकटीकरण का शास्त्र

प्रायः अनिष्ट शक्तियां प्रकट होना नहीं चाहती, जब तक कि वे स्वयं न चाहें । कभी-कभी अन्यों का ध्यान आकर्षित करने, भयभीत करने अथवा प्रभावित व्यक्ति अथवा आसपास के साधकों की साधना में व्यवधान डालने के लिए अनिष्ट शक्तियां प्रकट होती हैं । यह वे अपने प्रकटीकरण द्वारा उन्हें परावृत कर अथवा भयभीत करके कर सकती हैं ।

कभी-कभी आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति प्रकट होने अथवा अनावृत होने हेतु बाध्य हो जाती हैं । चूंकि आध्यात्मिक उपचार सत्र में होनेवाली सात्त्विकता का प्रभाव अत्यधिक हो जाता है अथवा उसकी आध्यात्मिक शक्ति क्षीण हो जाती है । साधक में प्रकट होनेवाली अनिष्ट शक्ति को अनावृत होना अच्छा नहीं लगता, इसलिए उनके प्रकटीकरण का चित्रीकरण जब कोर्इ करता है, तो वे क्रोधित हो जाती हैं ।

अनिष्ट शक्तियां तमप्रधान होती हैं । आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति किसी सत्त्वप्रधान व्यक्ति, जैसे एक संत के संपर्क में आती है; तब उसे अति बेचैनी तथा कष्ट होता है । क्योंकि संत के सात्त्विक प्रभाव से उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है । यह मोमबत्ती पर उसकी लौ के प्रभाव के समान है ।

६. व्यक्ति में अनिष्ट शक्ति के प्रकटीकरण के समय फाडे गए तथा सूक्ष्म माध्यमों द्वारा फाडे जाने की तुलना

अनिष्ट शक्ति द्वारा फाडे तथा काटे जाने के पीछे का शास्त्र के हमारे लेख में हमने बताया है कि आक्रमण हेतु आवश्यक शक्ति की तुलना में सूक्ष्म माध्यमों द्वारा फाडे जाने में अधिक शक्ति आवश्यक होती है । इसलिए अनिष्ट शक्ति के लिए आविष्ट व्यक्ति के माध्यम से अल्प शक्ति का प्रयोग कर समान रूप से प्रभावकारी निर्जीव वस्तुओं को फाडा जाना एक सरल मार्ग है ।