श्री.राम होनप ने वर्ष २००० से साधना आरंभ की । उनके पिताजी, मां तथा बहन, पूरा परिवार परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधना करते हैं । SSRF के सूक्ष्म-ज्ञान विभाग ने राम का निदान कर बता दिया था कि वे अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से ग्रस्त हैं । जब उन्होंने साधना में और निरंतरता बढाई तथा और अधिक सत्सेवा (जैसे ग्रंथ प्रदर्शनी लगाना, आध्यात्मिक प्रकाशन वितरित करना इत्यादि) करने लगे तो उन्हें कष्ट और अधिक बढने का भान हुआ । उन्हें निम्नलिखित कष्ट होने लगे :
- वे बिलकुल पढाई नहीं कर पा रहे थे ।
- उन्हें निरंतर नींद आती, अपने हाथों को भी उठाने की शक्ति नहीं रहती । बिछावन पर भी वे हिल-डुल नहीं सकते थे और घंटों पडे रहते ।
- उनका मन पूरा रिक्त हो जाता और जो भी वे पढते, उन्हें थोडा भी स्मरण नहीं रहता ।
- साधना के साथ अगरबत्ती जलाने, विभूति फूंकने, जैसे आध्यात्मिक उपचार करने पर भी उन्हें इस प्रकार के कष्ट होते रहे । उन्हें अपने कक्ष में सतत सूक्ष्म दबाव का अनुभव होता ।
वर्ष २००३ में, परम पूज्य भक्तराज महाराजजी के एक भक्त श्री.चंदा दीक्षित श्री.होनप के परिवार से मिलने आए । उनकी पत्नी श्रीमती शुभांगी दीक्षित ने श्री.राम को परम पूज्य भक्तराज महाराजजी का फ्रेमसहित छायाचित्र भेंट दिया । इस प्रकार का चित्र श्री.राम ने पहले कभी नहीं देखा था । उस चित्र में परम पूज्य भक्तराज महाराजजी के हाथों में छडी थी । उस चित्र को पाकर श्री.राम हर्षित थे । उन्होंने वह चित्र अध्ययन करनेवाले मेज पर रख दिया । वे सतत बाबा से (साधक प्रेम से परम पूज्य भक्तराज महाराजजी को बाबा कहते हैं) स्वयं पर आध्यात्मिक उपचार होने के लिए प्रार्थना करते । चित्र के समक्ष प्रार्थना करते समय अथवा उसे निहारते समय श्री.राम का ध्यान बाबा के हाथ में पकडी हुई छडी की ओर जाता ही था । प्रत्येक बार यही होता । श्री.राम समझ गए थे कि उसे आविष्ट करनेवाला सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक इससे बहुत हताश तथा भयभीत हो गया है । उन्हें भान हुआ कि बाबा सूक्ष्म स्तर पर उन पर आध्यात्मिक उपचार कर रहे हैं और बाबा के हाथ में जो छडी है, वे उससे सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक की पिटाई कर रहे हैं । श्री.राम को उस चित्र से तारक तथा मारक दोनों प्रकार की तरंगें निकलती प्रतीत होती, जो उसके सर्व ओर आध्यात्मिक सुरक्षा कवच प्रदान करती थी ।
चित्र मिलने के तीन माह उपरांत राम को अनुभव हुआ कि उस छायाचित्र में परिवर्तन हुआ है । यह तैलीय सा लग रहा था और पूर्व समान नहीं दिख रहा था । उस समय, उच्चतर अनिष्ट शक्तियों द्वारा शोध केंद्र में धब्बे इत्यादि के माध्यम से आक्रमण करना प्रारंभ हुआ था । इसलिए श्री.राम को पता नहीं था कि छायाचित्र में क्या हो गया है । तब भी उनके अंतर्मन में दृढ विचार थे कि चित्र में आया यह धब्बा अनिष्ट शक्तियों द्वारा ही किया गया है और इसे त्वरित SSRF के सूक्ष्म-ज्ञान विभाग को सूक्ष्म-परीक्षण तथा विश्लेषण करने के लिए भेजना चाहिए ।
इसलिए उन्होंने वह छायाचित्र SSRF के गोवा स्थित शोध केंद्र में भेजा । SSRF के सूक्ष्म-ज्ञान विभाग की पूजनीया (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने श्री.राम की आशंका की पुष्टि की और बताया कि वास्तव में इस पर अनिष्ट शक्तियों द्वारा आक्रमण किया गया था । एक विचित्र बात यह भी हुई कि जब उन्होंने वह चित्र भेजा था, तब धब्बे पूरे चित्र पर नहीं थे । हमारा निरीक्षण यह है कि इतने वर्षों में तेल के धब्बे और बढ गए । वर्त्तमान स्थिति यह है कि चित्र ऐसा लगता है मानो उस पर तेल उडेल दिया गया है । इस प्रकार, सूक्ष्म-आक्रमण तब भी जारी था, जब वह चित्र श्री.राम के साथ नहीं था ।