1. दैवी नाद – प्रस्तावना
मानवजाति का उद्धार करना, यह संतों का कार्य होता है । उनका प्रत्येक कर्म और विचार समाज के कल्याण के लिए ही होता है । उनके आस्तत्व और संकल्प से ही अनेक लोगों को आध्यात्मिक स्तर पर लाभ होता है । संत केवल सबके कल्याण का ही विचार करते हैं और यही विचार उनका संकल्प होकर कार्य करने लगता है । ऐसे ही एक संत हैं जो संकल्प से ही समाज का कल्याण करते हैं और वे हैं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ।
आज पूरे विश्व में अनिष्ट शक्तियों का प्रभाव बढने लगा है । ये अनिष्ट शक्तियां साधना करनेवालों के मार्ग में बाधाएं निर्माण करती हैं । इन बाधाओं को किस प्रकार से दूर किया जाए, इस पर प.पू. डॉ आठवलेजी मार्गदर्शन करते हैं । इसी विषयपर २३ जून २०११ को जब वे गहन चिंतन कर रहे थे उस समय बिना किसी ज्ञात कारण के भारत के SSRF के आध्यात्मिक शोध केंद्र, गोवा स्थित रामनाथी में उनके कक्ष से एक ध्वनि सुनाई दी । ऑडियो विज्युअल विभाग के साधकों ने इसका रिकॉर्डिंग किया ।
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने समझाया कि इस ध्वनि में अनिष्ट शक्तियों से पीडित साधकों पर आध्यात्मिक स्तर पर उपचार करने की क्षमता है । जिन साधकों ने उस ध्वनि को सुना उनके आध्यात्मिक कष्ट न केवल अल्प हुए अपितु उन्हें आध्यात्मिक अनुभूतियां भी हुईं ।
इससे यह सिद्ध हुआ कि वह नाद दैवी स्वरूप का है । उस समय से २८ नवंबर २०११ तक १५ विविध ध्वनियां सुनाई दीं । यह ध्वनियां उनके निवास-कक्ष , उनके अभ्यास-कक्ष और सेवा-कक्ष से, जिस पंखे का वे उपयोग करते हैं उससे, उनके अभ्यास-कक्ष के वातानुकूलन यंत्र (एयर-कूलर) से और उनके लिए खाद्य पदार्थ रखे जानेवाले प्रशीतक (रेफ्रिजरेटर) से भी आईं । इन सभी वस्तुओं से किसी विशिष्ट समय पर ये दैवी नाद सुनाई दिए थे । संतों द्वारा प्रयुक्त अथवा उनके आसपास की वस्तुओं में दैवी स्पंदनों का संचय होने से ऐसा होता है । यह उस प्रकार से है जैसे धूप में जाने से व्यक्ति की त्वचा पर धूप का प्रभाव होता है । उसके पश्चात भारत में मुंबई स्थित देवद में जहां SSRF का संशोधन केंद्र है, उसके परिसर में भी वे दैवी नाद सुनाई दिए ।
इस दैवी नाद की आध्यात्मिक उपचार की क्षमता का अनुभव पूरे विश्व के सहस्रों साधकों को हुआ । परात्पर गुरु प.पू. डॉ. आठवलेजी में साधना करने वाले विश्व के सभी जीवों को अनिष्ट शक्तियों की पीडा को न्यून करने की लगन है, इसलिए ईश्वर ने पूरी मानवजाति को यह अनमोल भेंट दी । यह पूरा प्रसंग, परात्पर गुरु प.पू. डॉ. आठवलेजी का समाज के लिए जो पितृवत निरपेक्ष प्रेम है, उसे दर्शाता है ।
२. आध्यात्मिक उपचार के लिए दैवी नाद
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३. आध्यात्मिक उपचार हेतु दैवी नाद सुनने के विषय में सूचनाएं
दैवी नाद सुनते समय, इसपर ध्यान दें कि किस नाद से कष्ट होता है अथवा जो कष्ट आपको पहले से है वह बढता है अथवा किस नाद से अच्छा लगता है । वही हमारे लिए आवश्यक नाद है ।
अ. मुझे आध्यात्मिक कष्ट है अथवा नहीं, इसका मुझे ज्ञान नहीं है
यदि आपने अब तक स्वयं में किसी प्रकार के कष्ट अनुभव नहीं किए हों और दैवी नाद सुनने के पश्चात अचानक कष्ट अनुभव किया, तो इसका यह अर्थ हो सकता है कि आप भी अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित हैं । ऐसे में उस दैवी नाद को सुन सकते हैं जिससे आपका कष्ट प्रकट हुआ ।
आ. मैं जानता हूं कि मुझे अनिष्ट शक्तियों के कष्ट हैं । मुझे कौन सा नाद सुनना चाहिए ?
आप में से जिन्हें ज्ञात है कि आपको अनिष्ट शक्ति का कष्ट है, वे उस दैवी नाद को सुन सकते हैं जिससे आपको सबसे अधिक कष्ट लगे अथवा जिससे आपका कष्ट सबसे अधिक बढे ।
आ १. दैवी नाद कितने समय तक सुनना चाहिए ?
आप कष्ट देने वाले नाद को उस कालावधि तक सुनें, जब तक आप उसे सहन कर सकते हैं; क्योंकि उस समय उस नाद से आप पर उपचार हो रहे होते हैं ।
आ २. यदि मैं अधिक समय तक सुनना सहन नहीं कर सकूं, तो मुझे क्या करना चाहिए ?
यदि दैवी नाद को सुनना असहनीय हो जाए, तो उस दैवी नाद को सुनें जो आपको अच्छा लगता हो और आपका कष्ट अल्प हो जाए । उसके पश्चात पुन: कष्ट देने वाले दैवी नाद को सुनें । इस प्रक्रिया को दोहराते रहें । दैवी नाद के माध्यम से जो आध्यात्मिक उपचार होते हैं उससे अनिष्ट शक्तियों की शक्ति क्षीण हो जाती है और आप पर आध्यात्मिक उपचार होते हैं ।
आ ३. यदि मुझे भिन्न प्रकार के कष्ट का अनुभव होने लगे, तो मुझे क्या करना चाहिए ?
यदि हम पर आक्रमण करनेवाली अथवा हमें प्रभावित करनेवाली अनिष्ट शक्ति में परिवर्तन हो जाता है तब हमें आध्यात्मिक उपचार हेतु दैवी नाद में भी आवश्यक परिवर्तन करना चाहिए । यह ठीक उसी प्रकार है जैसे नई बीमारी के लिए हम नई औषधि लेते हैं ।
जब अनिष्ट शक्ति कष्ट देने की पद्धति बदलती हो या दूसरी अनिष्ट शक्ति कष्ट देने लगती हो, तो सभी दैवी नाद पुन:-पुन: सुनें और आध्यात्मिक उपचार के लिए स्वयं ही दैवी नाद को ढूंढें । कभी ऐसा भी हो सकता है कि आपको कुछ घंटों में ही दूसरा दैवी नाद चुनना पडे ।
इ. यदि मुझे अनिष्ट शक्तियों का कष्ट नहीं है, तब भी क्या मुझे दैवी नाद सुनने चाहिए ?
जिन्हें अनिष्ट शक्तियों का कष्ट नहीं है, तो जिस दैवी नाद को सुनने से अच्छा अनुभव हो, वह सुनें । कुछ समय पश्चात यदि उसका प्रभाव न्यून होने लगे तो सभी दैवी नाद पुन:-पुन: सुनें और सबसे अधिक लाभदायी नाद को चुनकर उसे सुनें ।
इन नादों में से कुछ नाद ऐसे हैं जो साधना और भाव बढाने में सहायता करते हैं । जब कोई कष्ट न हो तो इने नादों को सुनें ।
४. दैवी नाद के विषय में प्राप्त ज्ञान
प्रायोगिक भाग समाप्त होने पर आध्यात्मिक स्तर पर दैवी नाद कैसे लाभदायी है यह जानने के लिए यहां क्लिक करें ।